Thursday 12 March 2015

वह कौन है !!!!
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कौन है ---जो बसता है ,
मुझमे और तुझ में विश्वास की तरह !!
झरनों से गिरता है मद्धम मद्धम , 
नदियों में बहता है जीवन बन कर |
जिसने खारा कर डाला
पानी समुन्दर का और इन आँखों का--।
कौन है ---
जो पंछियों के सुर में गाता है गीत
सुबह सुबह का !!
गंध बन कर महकाता है हवाओं को !!
जिसने रंग भर दिए हैं सारे
लाल, गुलाबी, नीले, पीले क्यारी क्यारी में
जिसने बाँध दिए एक लय में
धरती, सूरज और चंदा ... !!!
जिसने बना डाले
ऊँचे ऊँचे पहाड़ और गहरी गहरी खाईयां
जिसने गति भर दी हमारे क़दमों में
जो शामिल है, सुबह सुबह की प्रार्थनाओं में---।
अचंभित हूँ कि ..जो चला रहा है कूंची कलम और जीवन
चुपके चुपके, इस विशाल कैनवास पर
दिखता नहीं है पर वही दिखता है हर जगह---।
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निशा ....